लांछन,
भाग 1, पहला लेख पढ़ें
लांछन को हम कई और नामों से जानते हैं। जिसमें दोस, इल्जाम, और बहुत से शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है। पर इन सब का मतलब एक ही होता है, कि कोई आपके ऊपर लांछन लगा रहा है। मतलब आपकी छवि को खराब कर रहा है। ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ मैंने अभी जिस बात का जिक्र किया। मैंने ऐसा ही एक जिक्र अपनी पत्नी के साथ भी साझा किया था। जो उसका काम का दूसरा दिन था। उसी रात को मैंने उसे बड़ी प्यार से समझाया था कि देखो तुम नौकरी करने जा रही हो, और मैं घर पर अपनी बेटी का ध्यान रख रहा हूं। क्योंकि तुम एक औरत हो इसीलिए तुम आसपास की औरतों से बात करती हो और जहां 4 औरतें बैठती हैं वहां या तो किसी की तारीफ होती हैं, या किसी की बुराई। तो तुम इन बातों से सावधान रहना कि कभी कोई औरत किसी के साथ तुम्हारे पति का नाम जोड़कर किसी से चुगली करें। और वह दूसरी औरत तुम से आकर बताएं कि वह तुम्हारे पति के साथ उसका नाम जोड़कर ऐसे ऐसे बोल रही थी तो तुम इस बात पर थोड़ा गंभीर बर्ताव करना । अभी इस बात को 19 दिन ही हुए थे। वो इतवार का दिन था मेरी पत्नी की छुट्टी थी वह कपड़े धो रही थी तभी नीचे से एक महिला आई, और वह दोनों आपस में कुछ खुसरूपुर करने लगी। मैंने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया जैसा कि मेरा नेचर है। पर उस औरत के जाने के ठीक आधे घंटे बाद मेरी पत्नी ने मुझसे एक सवाल पूछा। मैंने बदले में उसका जवाब दिया और उसने कहा बेटी की कसम खाओ। मैं अपनी बेटी से बहुत प्यार करता हूं, पर फिर भी पत्नी के कहने पर उसे यकीन दिलाने के लिए। मैंने अपनी बेटी की कसम खाई पर फिर भी मेरी धर्मपत्नी को मुझ पर यकीन नहीं हुआ। उसके बर्ताव से मुझे ऐसा महसूस हो रहा था कि उसके मन में कुछ तो चल रहा है। पर मैंने इस बारे में उस से बहस करना ठीक नहीं समझा जैसा कि मुझे ठीक लगा। क्योंकि मुझे पता था कि उसने जो बात सुनी है उससे वह बहुत परेशान है। मुझे लगा अगर उसकी बेचैनी ज्यादा बढ़ेगी तो वह मुझसे इस मामले पर डिस्कस करना चाहेगी पर मेरी अपेक्षा के विरुद्ध। कुछ और ही हो गया। अभी 3 दिन ही बीते थे कि मेरी पत्नी का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ा और उसने बहस बाजी की उसी औरत से जिसने उसे कहा था कि वह तुम्हारे पति का नाम उसके साथ जोड़कर ऐसा कह रही है। मेरी पत्नी ने उससे कहा कि बुला किसने कहा है। उस औरत ने उस दूसरी औरत को बुलाया। फिर उस औरत ने एक तीसरी औरत को बुलाया। और फिर उसने तीन और औरतों को बुलाया। सब की सब एक साथ हो गई और सब ने इस बात को कहने से मना कर दिया। कि हमने ऐसा कुछ भी नहीं कहा है। अब बच्ची पहली औरत जिसने मेरी पत्नी से बात की थी। वह सबके सामने कह रही थी कि मैंने सुना है।यही लोग बात कर रहे थे। और वह सब मना कर रही थी। मामला काफी तुल पकड़ चूका था, मेरी सामाजिक तौर पर इज्जत उतारी जा रही थी बिना किसी गलती के। अब मुझे ये बात समझ नहीं आ रही थी। कि इन सब में गलत कौन है।
क्योंकि मैं तो गलत नहीं था वह बात जो भी भूल ही गई थी। वह बात पूरी तरह से गलत थी ऐसा मैं जानता था फिर मुझे किस पर गुस्सा होना चाहिए। जी हां मेरा गुस्सा मेरी धर्मपत्नी पर था क्योंकि उसे मेरे पर यकीन नहीं था भरोसा एक रिश्ते में भरोसा कितनी अहमियत रखता है इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक किसी तीसरी औरत में आकर कुछ कहा और उसकी बात को मानकर आपने यकीन कर लिया और ना भी यकीन किया हो तो अपने दिल में यह तो बिठा लिया कि ऐसा हो सकता है मतलब उस पर आपको इतना भरोसा नहीं है। इस बात से यह साबित हो गया कि मेरी पत्नी को मेरे ऊपर बिल्कुल भी भरोसा नहीं है। सभी औरतों के मना कर देने के बाद भी मेरी पत्नी उस औरत के पीछे पड़ी रही और उससे यह बुलवा कर मानी की उसने गलती की है। और बकायदा उस औरत ने माफी मांगी और उसने ये कहा हो सकता है मेरे सुनने में गलती हो गई हो। इसे कहते हैं लांछन जो सिद्ध नहीं होता पर आपके जीवन को पूरी तरह से बदल देता है इस घटी घटना से मेरी जीवन पर दो प्रभाव पड़े एक मुझे इस बात का पता चल गया कि मेरी पत्नी को मेरे चरित्रवान होने पर संदेह है। हालांकि मैं इतना खूबसूरत भी नहीं हूं, कि मुझ पर संदेह किया जाए। पर फिर भी वह मेरे चरित्र पर संदेह करती है दूसरा मेरी पत्नी मेरी नजरों में थोड़ी सी कम हो गई है शायद मेरा प्यार उसके लिए अब कम हो जाए और जैसा वह सोचती है, मैं वैसा ही हो जाऊं। Next day ,
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